यूपी में पांच साल में पहली बार बढ़ी बिजली की दरें, अब डेना पड़ेगा डूगना लगान

राघवेन्द्र मिश्रा
राघवेन्द्र मिश्रा

जैसे ही अप्रैल का महीना आया, आम आदमी ने सोचा, “गर्मी बढ़ेगी, पंखा चलेगा, एसी चलेगा, लेकिन बिजली का बिल तो वही रहेगा न?” पर अफसोस! सरकार ने कहा, “जनवरी में जो जलाया था, उसका झटका अब मिलेगा!”

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जनवरी की आग, अप्रैल में जलेगा दिल

जनवरी में आप जो टीवी देख रहे थे, जो हीटर चला रहे थे, जो वाटर गीजर में पानी उबाल रहे थे — उस पर अब अप्रैल में “ईंधन अधिभार” के नाम पर बिल में 1.24% की छौंक लगेगी।

अब पूछिए क्यों?

क्योंकि पावर कॉर्पोरेशन को जनवरी में 78.99 करोड़ का एहसास अप्रैल में हुआ! कुछ लोग भावनात्मक तौर पर देरी से प्रतिक्रिया देते हैं, पर यहां तो कॉर्पोरेशन ही संवेदनशील निकला — “लेटलतीफ़ लेकिन फाइनेंशियली एक्टिव!”

काले कानून और उजले बिल

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा गुस्से में हैं। कह रहे हैं —

“जब 33122 करोड़ उपभोक्ताओं का सरप्लस है, तो जनवरी की 78.99 करोड़ की किश्त वहीं से काट लो! हमसे क्यों वसूलते हो?”

सरकार ने आंखें मटकाते हुए कहा —

“तुम्हारा पैसा हमारा है, और हमारा पैसा भी… हमारा है।”

सॉफ्टवेयर बदला गया, लेकिन नीयत वही है

पावर कॉर्पोरेशन ने बिल बनाने वाले सॉफ्टवेयर को अपडेट कर दिया है। अब वो आपकी जेब देखे बिना, सीधे दिल पर हमला करेगा —
“जनवरी का अधिभार, अप्रैल के प्यार में बदल जाएगा!”

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अब हर महीने मिलेगा सरप्राइज

इस बहुवार्षिक टैरिफ प्लान के अनुसार, अब हर महीने बिजली का बिल एक नए आश्चर्य से भरा होगा। कभी मार्च का अधिभार जून में, तो कभी जुलाई का झटका दिसंबर में। यह बिजली नहीं, इमोशनल डैमेज प्लान है। अगर आप सोचते हैं कि अब और झटका नहीं लगेगा, तो याद रखिए,

“ये वो करंट है जो मीटर में नहीं, सीधे दिमाग में दौड़ता है!”

अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर पावर कॉर्पोरेशन को एक नया टैगलाइन दें:

“बिजली वही, बिल नया — सरप्राइज हर माह!”

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